📚 कक्षा 10वीं – अध्याय 7: परंपरा का मूल्यांकन | Bihar Board 2026
✨ परिचय
"परंपरा का मूल्यांकन" कक्षा 10वीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसे बिहार बोर्ड (BSEB) के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह अध्याय छात्रों को न केवल परंपराओं के महत्व को समझने में मदद करता है, बल्कि उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित भी करता है कि परंपराएं कैसे समाज को दिशा देती हैं और समय के साथ उनका मूल्यांकन क्यों आवश्यक होता है।
इस लेख में हम इस अध्याय की संक्षिप्त जानकारी, महत्व, कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions) और बोर्ड परीक्षा 2026 की दृष्टि से तैयारी के सुझाव साझा कर रहे हैं।
📖 अध्याय का सारांश (Summary of the Chapter)
"परंपरा का मूल्यांकन" एक विचारात्मक लेख है जिसमें लेखक ने परंपरा को अंधानुकरण न मानकर, सोच-विचार कर उसे अपनाने की बात कही है। लेखक यह स्पष्ट करते हैं कि परंपराएं हमारे अतीत की देन हैं, लेकिन हर परंपरा आज के समय में उपयोगी हो, यह आवश्यक नहीं। इसलिए जरूरी है कि हम परंपराओं का वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करें।
अध्याय की प्रमुख बातें:
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परंपरा समाज की सांस्कृतिक पहचान है।
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परंपराएं केवल पालन करने के लिए नहीं, समझने के लिए भी होती हैं।
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जो परंपराएं समय के साथ अप्रासंगिक हो जाती हैं, उनका परित्याग आवश्यक होता है।
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समाज में बदलाव लाने के लिए परंपरा का सही मूल्यांकन आवश्यक है।
🎯 अध्याय का महत्व (Importance of the Chapter)
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यह अध्याय छात्रों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
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यह सामाजिक जागरूकता को बढ़ाता है।
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छात्रों को परंपरा, संस्कृति और बदलाव के बीच संतुलन समझने में मदद करता है।
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बोर्ड परीक्षा में इस अध्याय से वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की अच्छी संभावना रहती है।
✅ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions)
नीचे इस अध्याय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) दिए गए हैं जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं।
प्रश्न 1: परंपरा का पालन किस आधार पर किया जाना चाहिए?
A. अंधानुकरण के आधार पर
B. सामाजिक दबाव में
C. वैज्ञानिक विवेक और अनुभव के आधार पर ✅
D. पूर्वजों की बात मानकर
प्रश्न 2: लेखक के अनुसार परंपरा क्या है?
A. अतीत की गलतियाँ
B. बिना मतलब की बातें
C. ऐतिहासिक कहानियाँ
D. अतीत की उपयोगी देन ✅
प्रश्न 3: लेखक ने परंपरा को किससे जोड़ कर देखा है?
A. धर्म
B. विज्ञान
C. विवेक और सोचने की क्षमता ✅
D. राजनीति
प्रश्न 4: परंपरा का मूल्यांकन किस दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए?
A. धार्मिक दृष्टिकोण से
B. सामाजिक दृष्टिकोण से
C. तार्किक और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण से ✅
D. आर्थिक दृष्टिकोण से
प्रश्न 5: परंपराएं किसकी निशानी हैं?
A. पिछड़ेपन की
B. समय की बर्बादी की
C. सांस्कृतिक विरासत की ✅
D. अंधविश्वास की
📝 उत्तर कुंजी (Answer Key):
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C
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D
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C
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C
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C
🧠 तैयारी के सुझाव (Preparation Tips for Bihar Board 2026)
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अध्याय को गहराई से समझें: सिर्फ रटने के बजाय यह समझें कि लेखक क्या कहना चाहता है और क्यों।
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नोट्स तैयार करें: मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में लिखें और उन्हें बार-बार दोहराएं।
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Objective Questions का अभ्यास करें: पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र और प्रैक्टिस सेट्स से तैयारी करें।
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समय प्रबंधन करें: पढ़ाई का टाइमटेबल बनाएं जिसमें प्रत्येक विषय को उचित समय दें।
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Mock Tests दें: इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा का डर भी कम होगा।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
"परंपरा का मूल्यांकन" एक अत्यंत विचारशील अध्याय है जो न सिर्फ परीक्षा में मदद करता है, बल्कि जीवन को भी एक नई दृष्टि से देखने का नजरिया देता है। Bihar Board 2026 की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह अध्याय विशेष महत्व रखता है। यदि आप इस अध्याय के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का नियमित अभ्यास करते हैं और उसकी गहन समझ विकसित करते हैं, तो निश्चित ही आपकी परीक्षा में अच्छे अंक आने की संभावना बढ़ जाती है।
Thank You