बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी साहित्य: गोधूलि और वर्णिका - एक गहन मूल्यांकन
बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिंदी पाठ्यपुस्तकें, 'गोधूलि भाग 2' और 'वर्णिका भाग 2', भारतीय समाज, संस्कृति और मानवीय संवेदनाओं का एक समृद्ध चित्रण प्रस्तुत करती हैं। ये कहानियाँ और निबंध न केवल छात्रों को साहित्यिक विधाओं से परिचित कराते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं, सामाजिक मुद्दों और नैतिक मूल्यों पर विचार करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इस लेख में, हम इन पुस्तकों के महत्वपूर्ण अध्यायों, उनके लेखकों, मुख्य विषयों और उनके निहितार्थों का विस्तार से मूल्यांकन करेंगे, जैसा कि दिए गए स्रोतों में चर्चा की गई है।
वर्णिका भाग 2: क्षेत्रीय कहानियों का दर्पण
वर्णिका भाग 2 में पाँच कहानियाँ हैं, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं से हिंदी में अनुदित हैं, और ये ग्रामीण भारत की सच्चाइयों और मानवीय रिश्तों की जटिलताओं को दर्शाती हैं
1. दही वाली मंगम्मा (लेखक: श्रीनिवास) यह कहानी कन्नड़ भाषा से अनुदित है और ग्रामीण जीवन की एक आम समस्या को उजागर करती है: पारिवारिक कलह और सास-बहू के रिश्ते की जटिलता मंगम्मा एक दही बेचने वाली महिला है, जो अपनी बहू नजम्मा से झगड़े के कारण अलग रहती है। बहू के खिलाफ बेटे के पक्ष में न रहने के कारण वह अपने पोते के प्रति विशेष स्नेह दिखाती है, जिसके लिए वह मिठाई भी लाती है कहानी में रंगप्पा नामक एक जुआरी का भी वर्णन है, जो मंगम्मा को परेशान करने की कोशिश करता है, जिससे ग्रामीण जीवन में शोषण की संभावना भी प्रदर्शित होती है। अंततः, बहू की बुद्धिमत्ता और पोते के प्रति मंगम्मा का प्रेम ही उन्हें फिर से एक साथ लाता है, जो पारिवारिक सामंजस्य के महत्व को दर्शाता है लेखक श्रीनिवास का जन्म कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था, और इस कहानी का हिंदी अनुवाद बी आर नारायण ने किया है। यह कहानी दर्शाती है कि कैसे छोटे-छोटे झगड़े रिश्तों में दरार डाल सकते हैं और कैसे बुद्धिमत्ता से उनका समाधान भी किया जा सकता है।
2. ढहते विश्वास (लेखक: सातकोड़ी होता) यह उड़िया कहानी ओडिशा राज्य के बाढ़ और सूखे से प्रभावित जीवन का हृदय विदारक चित्रण करती है। लक्ष्मी, कहानी की मुख्य पात्र, का घर देवी बांध के नीचे है। उसके पति लक्ष्मण कोलकाता में नौकरी करते हैं, लेकिन उनकी आय परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। लक्ष्मी अपने दो बेटों और दो बेटियों के साथ रहती है और अपने ससुर द्वारा छोड़ी गई एक बीघा जमीन पर खेती करती है। बाढ़ आने पर, गुणनिधि जैसे गाँव के पढ़े-लिखे लड़के स्वेच्छा सेवक दल बनाकर लोगों को सचेत करते हैं और राहत कार्यों में मदद करते हैं
। यह कहानी प्राकृतिक आपदाओं के सामने मनुष्य की लाचारी, फिर भी उसकी अदम्य इच्छाशक्ति और सामुदायिक सहयोग को दर्शाती है। बांध का टूटना सिर्फ एक भौतिक घटना नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के विश्वास का ढहना भी है, जिसे वे प्रकृति के सामने हार मानने पर महसूस करते हैं। राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने इस कहानी का हिंदी अनुवाद किया है। यह पाठ सिखाता है कि कैसे विपत्ति में भी लोग एक-दूसरे का सहारा बनते हैं।
3. माँ (लेखक: ईश्वर पेटलीकर) यह गुजराती कहानी एक माँ के अपने मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चे के प्रति असीम प्रेम और त्याग का मार्मिक उदाहरण है। मंगू, कहानी की प्रमुख पात्रा, जन्म से ही पागल और गूंगी है। उसकी माँ उसे किसी भी कीमत पर अस्पताल में भर्ती नहीं कराना चाहती, क्योंकि उसे अस्पताल गौशाला जैसा लगता है, जहाँ मरीजों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार होता है। माँ की कुल चार संतानें थीं, जिनमें से मंगू सबसे छोटी थी। मंगू को छोड़कर माँ की तीन और संतानें थीं। बड़े बेटे के कहने पर, माँ मजिस्ट्रेट के आदेश से मंगू को अस्पताल में भर्ती कराती है, लेकिन अस्पताल में मेट्रन के कठोर नियमों और मंगू की उपेक्षा देखकर माँ का हृदय विदीर्ण हो जाता है। यह कहानी मातृ-प्रेम की पराकाष्ठा, मानसिक बीमारियों के प्रति समाज और परिवार के दृष्टिकोण, और स्वास्थ्य सेवाओं की अमानवीयता पर प्रकाश डालती है।
4. नगर (लेखक: सुजाता) तमिल भाषा से अनुदित यह कहानी शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियाँ और एक ग्रामीण माँ के संघर्ष को दर्शाती है। पाप्पाति, कहानी की मुख्य पात्र, को मेनिनजाइटिस नामक बीमारी है। उसकी माँ वल्लि अम्माल, उसे इलाज के लिए मदुरै शहर ले जाती है, जहाँ उन्हें अस्पताल की भीड़, अव्यवस्था और संवेदनहीनता का सामना करना पड़ता है। पाप्पाति को कमरा नंबर 48 में आने को कहा जाता है, लेकिन समय पर इलाज न मिलने और डॉक्टरों की उपेक्षा के कारण वल्लि अम्माल अपनी बेटी को एक पीले रिक्शे में लेकर वापस गाँव लौट जाती है। वह वेदीश्वरन मंदिर में मन्नत भी माँगती है, जो ग्रामीण समाज में आस्था और अंधविश्वास का मिश्रण दिखाता है। सुजाता का वास्तविक नाम एस. रंगराजन है। यह कहानी गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच में कमी और शहरीकरण के बावजूद व्यवस्थागत खामियों को उजागर करती है।
5. धरती कब तक घूमेगी (लेखक: सावर दैया) यह राजस्थानी कहानी वृद्धावस्था में माता-पिता की उपेक्षा और पारिवारिक बिखराव का चित्रण है। सीता, कहानी की मुख्य पात्र, तीन बेटों की माँ है। उसके बेटे उसे मासिक ₹50 देते हैं, लेकिन कोई भी उसकी देखभाल नहीं करना चाहता। सीता को महसूस होता है कि आकाश अनंत नहीं है, अर्थात उसका जीवन सीमित और उपेक्षा भरा है। नाहर सिंह वाले दिन जब लापसी फीकी बनी लगती है, तो यह उसके जीवन की नीरसता और बेटों की बेरुखी का प्रतीक बन जाता है। अपनी पुरानी काली ओढ़नी को देखकर वह रूआँसी हो जाती है, जो उसकी हीनता और अकेलेपन को दर्शाता है। अंततः, सीता घर छोड़कर चली जाती है, जो स्वाभिमान और गरिमा की तलाश का प्रतीक है। लेखक सावर दैया इस कहानी के माध्यम से वृद्धों के प्रति समाज के बदलते रवैये और उनके सम्मान के अधिकार पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
आपको आगे आर्टिकल में इसी प्रकार के 100 + Online & Offline बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) उनके विकल्पों और उत्तरों के साथ प्रस्तुत हैं
अध्याय: दही वाली मंगम्मा
1. मंगम्मा क्या बेचती थी?
◦ (A) दूध
◦ (B) दही
◦ (C) मक्खन
◦ (D) घी
◦ उत्तर: (B) दही
2. मंगम्मा किस भाषा की कहानी है?
◦ (A) उड़िया
◦ (B) तमिल
◦ (C) कन्नड़
◦ (D) गुजराती
◦ उत्तर: (C) कन्नड़
3. दही वाली मंगम्मा के लेखक कौन हैं?
◦ (A) ईश्वर पेटलीकर
◦ (B) श्रीनिवास
◦ (C) सातकोड़ी होता
◦ (D) सुजाता
◦ उत्तर: (B) श्रीनिवास
4. श्रीनिवास जी का जन्म कहाँ हुआ था?
◦ (A) बिहार
◦ (B) कोलार, कर्नाटक
◦ (C) चेन्नई
◦ (D) उड़ीसा
◦ उत्तर: (B) कोलार, कर्नाटक
5. मंगम्मा मिठाई किसके लिए ले जा रही थी?
◦ (A) अपने बेटे के लिए
◦ (B) अपने पति के लिए
◦ (C) अपने पोते के लिए
◦ (D) अपनी बहू के लिए
◦ उत्तर: (C) अपने पोते के लिए
6. दही वाली मंगम्मा किस भाषा से अनुदित है?
◦ (A) उड़िया
◦ (B) कन्नड़
◦ (C) तमिल
◦ (D) गुजराती
◦ उत्तर: (B) कन्नड़
7. दही वाली मंगम्मा कहानी के अनुवादक कौन हैं?
◦ (A) राजेंद्र प्रसाद मिश्र
◦ (B) बी आर नारायण
◦ (C) गोपाल दास नागर
◦ (D) सावर दैया
◦ उत्तर: (B) बी आर नारायण
8. मंगम्मा का किससे विवाद था?
◦ (A) अपने बेटे से
◦ (B) अपने पति से
◦ (C) अपनी बहू से
◦ (D) अपने पोते से
◦ उत्तर: (C) अपनी बहू से
9. अमराई का कुआँ कहाँ है?
◦ (A) शहर में
◦ (B) रास्ते में
◦ (C) जंगल में
◦ (D) खेत में
◦ उत्तर: (B) रास्ते में
10. नजम्मा मंगम्मा की कौन थी?
◦ (A) बेटी
◦ (B) बहन
◦ (C) बहू
◦ (D) पोती
◦ उत्तर: (C) बहू
गोधूलि भाग 2 (गद्यखंड): समाज, संस्कृति और दर्शन का अन्वेषण
गोधूलि भाग 2 का गद्यखंड विभिन्न निबंधों, कहानियों और भाषणों के माध्यम से भारतीय समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों, ऐतिहासिक विकास और दार्शनिक विचारों पर प्रकाश डालता है
आईए Class के सभी लेखको के जीवन से रूबरू होते है और अपने तैयारी को हवा देते है
1. श्रम विभाजन और जाति प्रथा (लेखक: भीमराव अंबेडकर) यह पाठ अंबेडकर के प्रसिद्ध भाषण "एनीहिलेशन ऑफ कास्ट" का हिंदी रूपांतरण है, जिसका अनुवाद ललई सिंह यादव ने किया है अंबेडकर जाति प्रथा को श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप मानने का खंडन करते हैं। वे तर्क देते हैं कि जाति प्रथा कार्यकुशलता के लिए आवश्यक नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की रुचि और क्षमताओं की उपेक्षा कर उसे जन्म के आधार पर एक ही पेशे में बांध देती है, जिससे बेरोजगारी और अकुशलता बढ़ती है। वे एक आदर्श समाज की कल्पना करते हैं जो स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व पर आधारित हो, जहाँ व्यक्ति अपनी पसंद का पेशा चुन सके और समाज में भाईचारे का वास्तविक रूप दूध और पानी के मिश्रण जैसा हो। अंबेडकर के प्रेरक व्यक्ति बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फुले थे। यह पाठ भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव की ऐतिहासिक जड़ें और उसके उन्मूलन के लिए संवैधानिक और सामाजिक उपायों पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. विष के दाँत (लेखक: नलिन विलोचन शर्मा) यह कहानी समाज के उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच की खाई, बाल-मनोविज्ञान और परवरिश के अंतर को उजागर करती है। सेन साहब एक धनी व्यक्ति हैं जिनकी पाँच बेटियाँ और एक बेटा खोखा (कासू) है, जो उनकी आँखों का तारा है। खोखा अत्यंत उदंड है, जबकि उनकी बेटियाँ तहजीब की जीती जागती मूरत मानी जाती हैं। सेन साहब की फैक्ट्री में किरानी गिरधर लाल का बेटा मदन, निम्न वर्ग से आता है। सेन साहब खोखा को इंजीनियर या बिजनेसमैन बनाना चाहते हैं। कहानी में मोटर कार का टूटना, मदन का ड्राइवर से झगड़ा और फिर खोखा द्वारा मदन को परेशान करने पर मदन द्वारा खोखा के दो दाँत तोड़ देना - ये सभी घटनाएँ वर्ग संघर्ष और सामाजिक न्याय के मुद्दों को दर्शाती हैं। नलिन विलोचन शर्मा, जिनका जन्म पटना के बदर घाट में हुआ था, इस कहानी के माध्यम से अमीरी-गरीबी, शिक्षा और संस्कारों के अंतर तथा उनके परिणामों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
3. भारत से हम क्या सीखें (लेखक: मैक्स मूलर) यह पाठ जर्मन दार्शनिक और विद्वान मैक्स मूलर का एक भाषण है। मैक्स मूलर भारत को ज्ञान, सभ्यता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत देश मानते हैं। उन्होंने 18 वर्ष की आयु में लीपज़िग विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्ययन शुरू किया था और संस्कृत को विश्व की सबसे प्राचीन भाषा मानते थे। वे भारत के ग्रामीण इलाकों को सच्चे भारत का दर्शन मानते हैं और युवा अंग्रेज अधिकारियों को नया सिकंदर कहते हैं, जो भारत में नए अवसरों की खोज कर रहे हैं। वे वारेन हेस्टिंग्स को मिले 172 दारिस (सोने के सिक्के) के घड़े का जिक्र करते हैं, जो भारत के ऐतिहासिक धन और समृद्धि को दर्शाता है। स्वामी विवेकानंद ने मैक्स मूलर को 'वेदांतियों का वेदांती' कहा था। यह पाठ छात्रों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसके विश्वव्यापी महत्व से परिचित कराता है।
4. नाखून क्यों बढ़ते हैं (लेखक: हजारी प्रसाद द्विवेदी) यह ललित निबंध लेखक की बेटी के एक सहज प्रश्न – "पापा, नाखून क्यों बढ़ते हैं?" – पर आधारित है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाखूनों को मनुष्य की पाशवी वृत्ति और आदिम बर्बरता का प्रतीक बताया है। वे तर्क देते हैं कि मनुष्य ने सभ्यता के विकास के साथ-साथ अपने नाखूनों को काटना शुरू किया, जो उसकी पशुता से मनुष्यता की ओर बढ़ने की यात्रा को दर्शाता है। यह निबंध मानव विकास, संस्कृति, सौंदर्य बोध और आत्म-नियंत्रण जैसे विषयों पर गहन विचार प्रस्तुत करता है। लेखक यह भी कहते हैं कि "सब पुराने अच्छे नहीं होते और सब नए खराब नहीं होते", जो कालिदास के विचारों का संदर्भ है। दधीचि की हड्डी से इंद्र के वज्र बनने का पौराणिक संदर्भ त्याग और रचनात्मकता के महत्व को दर्शाता है। द्विवेदी जी ने निर्लज्ज अपराधी नाखून को कहा है, क्योंकि वह बार-बार बढ़ता है और अपनी पशुता को नहीं छोड़ता। उन्हें आलोक पर्व पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
5. नागरी लिपि (लेखक: गुणाकर मूले) यह निबंध देवनागरी लिपि के विकास, उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारतीय भाषाओं में उसके महत्व को उजागर करता है। गुणाकर मूले, जिनका जन्म 1935 में हुआ था, इस पाठ के माध्यम से बताते हैं कि कैसे नागरी लिपि का विकास प्राचीन ब्राह्मी लिपि से हुआ और यह कैसे हिंदी, नेपाली, मराठी जैसी भाषाओं की लिपि बनी। वे उत्तर भारत में आठवीं सदी से नागरी लिपि के लेख मिलने का जिक्र करते हैं। हिंदी के आदि कवि सरहपाद और उनकी रचना दोहा कोष का उल्लेख करते हुए लिपि के साहित्यिक योगदान को भी दर्शाते हैं। यह पाठ भारतीय लिपियों के इतिहास और सांस्कृतिक विकास को समझने में सहायक है। गुणाकर मूले ने अक्षरों की कहानी जैसी पुस्तकें भी लिखी हैं।
6. बहादुर (लेखक: अमरकांत) यह कहानी बाल मजदूरी, सामाजिक शोषण और मानवीय संवेदनाओं के पतन पर आधारित है। बहादुर (पूरा नाम दिल बहादुर) नेपाल का एक 11-12 वर्षीय लड़का है, जो माँ की मार से भागकर लेखक अमरकांत के घर नौकरी करने आता है। लेखक की पत्नी निर्मला और बेटा किशोर उसे पहले तो प्यार देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उसके प्रति कठोर हो जाते हैं। किशोर उसे गाली देता है और मारता भी है। जब लेखक के रिश्तेदार चोरी का झूठा आरोप (₹11 चुराने का) लगाते हैं, तो बहादुर का विश्वास टूट जाता है और वह बिना कुछ लिए घर से भाग जाता है। बहादुर के चले जाने के बाद लेखक और उनके परिवार को अपनी गलती का एहसास और एक अजीब सी लघुता का अनुभव होता है। यह कहानी मानवीय मूल्यों, वर्ग भेद, शोषण और पश्चाताप जैसे गंभीर मुद्दों पर सोचने के लिए विवश करती है। अमरकांत की रचनाओं में 'वानर सेना' और 'जिंदगी और जोंक' प्रमुख हैं
7. परंपरा का मूल्यांकन (लेखक: रामविलास शर्मा) यह निबंध साहित्यिक परंपरा के महत्व और उसके प्रगतिशील मूल्यांकन पर केंद्रित है। रामविलास शर्मा, जिनका जन्म 10 अक्टूबर 1912 को हुआ था, लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में अध्यापक थे। वे साहित्य की परंपरा के पूर्ण ज्ञान को समाजवादी व्यवस्था में संभव मानते हैं, जहाँ साहित्य में युग परिवर्तन करने वाले लोगों के लिए इस ज्ञान की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। इस पाठ में वायरन जैसे अंग्रेजी कवियों और एथेंस जैसे गुलाम देश का भी उल्लेख है, जिसने पूरे यूरोप को प्रभावित किया था। रामविलास शर्मा की महत्वपूर्ण कृतियों में 'निराला की साहित्य साधना' (तीन खंडों में) और 'प्रेमचंद और उनका युग' शामिल हैं। उन्होंने अपने पुरस्कार की राशि भारत सरकार को दान स्वरूप दी थी। यह पाठ छात्रों को परंपरा को केवल रूढ़ि न मानकर, बल्कि उसे प्रगतिशील दृष्टिकोण से देखने और समाज व साहित्य के विकास में उसके योगदान को समझने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष
कक्षा 10 की हिंदी पाठ्यपुस्तकें 'गोधूलि' और 'वर्णिका' बिहार बोर्ड के छात्रों को न केवल उनकी परीक्षा की तैयारी में मदद करती हैं, बल्कि उन्हें साहित्यिक समझ, सामाजिक चेतना और नैतिक मूल्यों से भी समृद्ध करती हैं। ये कहानियाँ और निबंध विभिन्न भारतीय भाषाओं की विविधता और सामाजिक समस्याओं को उजागर करते हुए छात्रों को अपनी संस्कृति और समाज से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। लेखकों ने गहन विचारों और मार्मिक प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों के ज्ञानवर्धन और व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन पाठों का अध्ययन करके छात्र न केवल अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि जीवन के लिए मूल्यवान शिक्षाएँ भी सीख सकते हैं। यह सामग्री 2025 की मैट्रिक परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और छात्रों को इन अध्यायों की गहन समझ विकसित करने में सहायक होगी
👉 टेस्ट देने के बाद Comment Box में अपना Score लिखें और दूसरों को Challenge करें।”
FAQs (Schema-Friendly)
-
Q. इस Mock Test में कितने Questions हैं?
✔ 100 Formula-based Questions हैं।
-
Q. क्या यह टेस्ट Free है?
✔ हाँ, यह पूरी तरह Free है
-
Q. किन-किन Exams के लिए उपयोगी है?
✔ Class 10th, SSC, Railway, Banking, NDA, CTET सभी के लिए।
Thank You